devar ke sath affair - antarvasna, देवर भाभी की हिंदी सेक्स स्टोरी

main apane pati ke saath train mein jaa rahi thie. mere saamane wali seat par eik bahut sunder noujawan baitha tha

मैं अपने पति के साथ ट्रेन में जा रही थी। मेरे सामने वाली सीट पर एक बहुत सुंदर नौजवान बैठा था। मेरा दिल उस पर आ गया और चाह रही थी के हमसे बात करूं। जब काफ़ी देर उसने कोई बात नहीं की तो मैंने ही बात शुरू की। मैंने पूछा 'तुम ने कहां जाना है'। उसने कहा मैं जुलुंदर जा रहा हूं।' मैंने कहा तुम रहते कहां हो'। उसने कहा 'दिल्ली' मैंने कहा हम अंबाला रहते हैं और मेरा पति एक फैक्ट्री में सर्विस कराता है। जालंधर हम मंदिर में जा रहे हैं, कायों के 6 साल हमारी शादी को हो गए हैं और कोई बच्चा नहीं हुआ। वो बोला 'तुमने किसी डॉक्टर को दिखाना था।' मैंने कहा 'डॉक्टर को भी दिखा चुके हैं बहुत इलाज करवा अब तो भगवान का ही भरोसा है या तुम्हारे जैसे की दुआओं का।' बातों बातों में मैंने उसे कहा के मेरा कोई देवर नहीं है,

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ये अकेले ही हैं काया तुम मेरा देवर बनाना पसंद करोगे। उसने हाँ कह दी और मेरे पति ने भी उसे अपना छोटा भाई मान लिया। मैंने हमसे का पता पूछ लिया और अपना पता दे दिया और कहा के तुम्हें अंबाला आना होगा तभी मैं मानूंगी के तुम मेरे देवर हो।' उसने कहा ' ठीक है मैं जरूर अन्य गा, अब तो तुम मेरी भाभी हो और भाभी का कहा मनाना देवर का फ़राज़ हे।' थोड़ी देर में जुलुंदर आ गया और हम ट्रेन से उतर गए। जाति बार मैंने फिर उसे कहा 'अपना रास्ता याद रखना, भाभी का दिल तोड़ मत देना।'

कुछ दिनों बाद वो हमारे घर आया तो मैं बड़ा खुश हुई। मेरे पति ने भी हमारा स्वागत किया। उसने कहा के वो दो दिन रुकेगा। मैंने जवाब दिया 'आना आने वाले की मर्जी पर होता है और जान भेजने वाले की मर्जी पर होता है, अब तो तुम मेरी मर्जी बिना कैसे जाओगे।' मेरा पति दिन में फैक्ट्री चली गई और हम घर में दोनों थे।
मैं अपना काम निपटा कर उसके पास ही बैठ गई और कहा 'हां तो देवर जी कोई बात करो।'
उसने कहा 'भाभी यहीं तो कमी है के मैं ज्यादा बातें करना नहीं जानता, तुम ही कुछ कहो।'
मैंने उससे कहा 'तुम इतने सुंदर जवान हो तुम्हारे पर तो लड़कियाँ मरती होंगी, काया तुम्हारी कोई सहेली है।'
'नहीं भाभी मेरी कोई सहेली नहीं है और ना मैंने कभी किसी को सहेली बनाने की कोशिश की है।'
'देखो अपनी भाभी से शर्माओ मत और ना कुछ छुपाने की कोशिश करो, मैं तो मान ही नहीं सकती के तुम्हारे जैसे सुंदर जवान की कोई सहेली नहीं होगी।'


'भाभी अब तुमने बात शुरू कर ही दी है तो ये बताओ के तुम्हारी शादी से पहला कोई दोस्त था'।
'मुझे तो कोई तुम जैसा सुंदर जवान लड़ाका मिला ही नहीं जिसे मैं अपना दोस्त बना सकता हूं।'
'तो ये ही मेरे साथ है मुझे भी कोई लड़की मिली ही नहीं के उसे मैं अपनी सहेली बना लेता।'
'तुम जानते हो के भाभी से कुछ छुपाया नहीं जाता, भाभी से तो देवर अपने दिल की हर बात कर लेता है और भाभी भी अपने दिल की हर बात अपने देवर से कहती है। तुम्हें याद होगा मैंने तुम्हें पहली मुलाकात में ही बता दिया था कि हमारी शादी को 6 साल हो गए हैं और कोई बच्चा नहीं हुआ।'


'हां याद है और तुम इसी के लिए जुलुंदर गई थी जब हमारी ट्रेन में मुलाकात हुई थी। तो काया मंदिर से तुम्हें कोई बच्चा नहीं मिला।'
'अब जब मैंने कहा ही दिया है के देवर से कुछ भी नहीं छुपाना तो तुझे बता दूं के भगवान भी फल उसी को देता है जो पेइद लगाए और पेइद लगाने के लिए जमीन में बीज डालना पड़ता है।'
'मैं कुछ नहीं समझता कि किस फल और दर्द और बीज की बात कर रही हूं। बात तो बचे की हो रही थी।'
'मेरा मतलब भी ये ही है के जैसे जमीन में बीज डालने से पेइद उगता हे उसकी तरह औरत तो जमीन होती हे और मर्द हमें बीज डालता हे तो ही बचा पेदा होता हे। अगर बीज ही खराब हो तो पेड़ कैसे उगेगा।'
'भाभी तुम्हारा मतलब है कि भाया में नुकास है जो बच्चा नहीं हो रहा।'


'अब तू समझ गया है मेरी बात का मतलब और ये बात मैंने सिर्फ तुम्हें ही बताई है कानों के तू मेरा देवर है और मैं पहले ही कह चुका हूं के देवर भाभी अपने दिल की बात एक दूसरे से खुल कर कर सकते हैं। इसलिए मैंने तुझे देवर बनाया था भाई नहीं।'
'तो भाभी मैं इस में तुम्हारी काया मदद कर सकता हूं।'
'तुम नहीं तो और कौन कर सकता है, तुम मेरे प्यारे देवर हो।'
'भाभी मुझे साफ साफ कहो के मैं तुम्हारी मदद कैसे कर सकती हूं।'
'तुम तो बिल्कुल अनाड़ी हो इसलिए तुम्हें आज तक कोई सहेली नहीं मिली।'
'इसमें सहेली वाली बात कैसे आ गई'

'अरे कोई भी लड़की इतने बुद्धू से दोस्ती करना नहीं चाहती जो हमारे दिल की बात भी ना समझ सके। आजकल की लड़कियां अपने यार से सब कुछ शादी से पहले चाहती हैं और तुम ये जानते ही नहीं के सामने वाली काया कह रही है।'
'तो काया लड़किया शादी किये बिना ही सेक्स करना चाहती हैं।'
'अब तू कुछ-कुछ समझने लगा है और इससे पहले भी समझता है कि तुम्हारी कोई भाभी तो नहीं जो तुम्हें ये सब समझती है।'
'अब तो तुम मेरी भाभी हो अब समझा दो।'
'काया तुमने किसी लड़की को किस किया है।'
'अभी तक तो नहीं किया'।


'तू किस का स्वाद भी नहीं जानता तो और कुछ काया करेगा गा। अरे तेरा वो भी के नहीं मुझे तो तेरी मरदंगी पर ही शक होने लगा है। रोए गी वो लड़की जो तेरे से शादी करेगी मेरी तरह।'
'भाभी अब तुम बहुत आगे बढ़ रही हो और मेरी मर्दानगी को चैलेंज कर रही हो, ऐसा नहीं हो के मैं कुछ कर बैठूं।'
'अरे तू क्या करे गा, तेरे में इतनी हिम्मत ही नहीं के किसी से एक चुंबन भी कर सके। इतनी देर से मैं तुझे देख रही हूं कोई और होता तो अभी तक मेरे होठों को चूस चूस कर लाल कर देता।'
इस बात का असर हुआ और उसने मुझे अपनी बांहों में कस कर मेरे होठों को चुनना शुरू कर दिया, मैंने भी उसका साथ खुल कर दिया। 'अरे अब हौंटों को हाय चूसते रहो गे या कुछ और भी करो गे।'
'भाभी तुम मेरी गुरु हो जो सिखाती रहो गी मैं करता रहूंगा।'
'कोई भी लड़की ये नहीं काहे गी के अब मेरी चोट मार, वो तो इशारों से समझने की कोशिश करेगी अगर नहीं समझेगी तो कह देगी तू अनाड़ी है।'


इतना कहते ही उसने मेरी साड़ी को खोल कर मेरा पेटीकोट भी उतार दिया और मेरा ब्लाउज खोल कर मेरी चुचियों को चुनने लगा। मैंने कहा 'अरे ये क्या कर रहा है।' 'वोही जो तुम चाहती हो.' 'मेरी बात का कुछ असर हुआ और तू समझदार बनने की कोशिश कर रहा है।' अब मैं इतना भी बच्चा नहीं हूं के तुम्हारे बात ना समझ सकूँ।'


फिर अपना पायजामा उतार दिया। मैं उसका लंड देख कर हेयरन हो गई और मेरे दिल ने कहा के अब मजा आ जाएगा गा और मैं जो चाहती हूं वो हो जाएगी। वो अपना लंड मेरी चूत पर रख कर झटके से लंड को मेरी चूत में ढकेलने लगा। मेरी चूत ने इतना बड़ा लंड कभी देखा भी नहीं था इसलिए उसका पूरा लंड बड़ी मुश्किल और कई ढक्को के बाद अंदर चला गया। मैं तो लंड ले कर झूम उठी और मेरे दिल में कहा के रानी तेरी कोशिश सफल हो गई। वो धक्के मार मार कर मेरी चुदाई कर रहा था औ मुख्य उपयोग अपनी बाहों में कास कर अपनी छत से लगा रही थी। मैने अपनी टैंगो को हमारे कुलेह के आस पास लपेट लिया ले लन्ड जरा भी बहार ना रह जाये। आधे घंटे की मज़ेदार चुदाई के बाद वो बोला 'कायों भाभी अब तो मेरी मर्दनगी पर कोई शक नहीं है।' 'मरदंगी पर तो शक नहीं है, लेकिन तुम हो धक्का स्टार्ट गाड़ी, सेल्फ स्टार्ट नहीं हो और कोई भी धक्का स्टार्ट गाड़ी को पसंद नहीं करता, आज सेल्फ स्टार्ट गाड़ी का जमाना है।' 'भाभी तुमने आज तक कभी किसी लड़के का बलात्कार सुना है, हमेशा लड़कियों के बलात्कार की खबरें ही आती हैं।' 'तू काया कहना चाहता है' 'मेरा मतलब है अगर लड़का पहले करे तो लड़कियां चप्पल उतार लेती हैं या छेदखानी का हथियार लगा देती हैं, लेकिन कभी-कभी किश लड़ाके को चप्पल उठाते

ये छेदखानी का हथियार लगाते सुना हे।' 'नहीं बिलकुल नहीं।' 'यही कारण है के लड़के अपनी और से पहल करने में घबराते हैं और अगर कुछ लड़ाके छेड़खानी कराते हैं तो उन्हें वो लड़कियां ही मिलती हैं जो बहुत चालू होती हैं और जिन का मतलब सिर्फ चुदायी के मजे लेना या लड़कों से धन एठना होता है।' 'तुम मेरी बात तो नहीं कह रहे कि मेरा तुम्हारे से मतलब सिर्फ चुदाई करवाना था।' 'नहीं भाभी तुम्हारा मतलब सिर्फ चुदायी करवा नहीं रहा, तुम्हें तो मैं पतिव्रत कहूं गा जो इतने साल उस मर्द के साथ अपना पत्नी धर्म निभाती रही जो उसे सेक्स में संतुष्ट कर सके ना एक बचा दे सका। ये तो हमारे शास्त्रों में भी लिखा है कि संतान प्राप्ति के लिए किसी से सेक्स करना पाप नहीं है।'

'क्या तुम तो बड़े विद्वान हो बड़े बड़े दशकों की बात करने लगे।' 'भाभी मैं जानती हूं कि लड़के और लड़की में सेक्स ज्यादा होती है, लेकिन उन्हें समाज और घर परिवार का जितना ध्यान होता है उतना लड़कों को नहीं, ये हमारे समाज की बनाई बंदिश के कारण हैं। आज जब शिक्षा का प्रसार हुआ है तो लड़कियाँ भी कुछ कम घबराने लगी हैं, और लड़कों की तरह वो भी खुल कर सेक्स की बातें भी करने लगीं और सेक्स भी करने लगीं। इसमें कोई भी बुरा नहीं भगवान नेई ये चीज दोनों को दी हे।' 'अरे तू तो भाषण ही देने लगा। छोड़ इस भाईचारे को और एक बार मेरी चूत की प्यास अपने लंड से बुझा दे। जब तूने कह ही दिया के औरत और मर्द में जबरदस्ती सेक्स होती है तो फिर जब हम खुल ही गए हैं तो मैं भी आज एडवांस लड़कियों में शामिल हो जाऊं।' 'क्यों नहीं भाभी तुम तो मेरी नजर में पहले से ही बहुत एडवांस हो क्यों के तुम ने जो चाहा था उसे कहने में शलीनता का परिचय तो दिया ही ले लिया संकोच नहीं किया। बलके मैं तो तुम्हें अपना गुरु मानने लगा हूं। 'हां तो मेरी पयारी भाभी गुरु, मैं हो रहा हूं शुरू, ले ले मजा आज अपने देवर से चुदाई का।' और उसने मेरे हौंट पर अपने हौंट रख कर उन्हें चुनना शुरू कर दिया और अपना लंड मेरी चूत पर रख कर धीरे-धीरे अंदर करने लगा और कहने लगा 'कायों भाभी अब तो ठीक है।'
'काया ठीक हे जितना पाठ पढ़ायो उतना ही करते रहो गी के हमसे आगे भी कुछ अपने आप करने की कोशिश करोगे।'
'अब क्या रह गया है।'
'तुझे ये मेरी छठी पर दो इतने बड़े नागपुरी संतरे नजर नहीं आ रहे।'


'काया करूं इन का.'
'इन्हें मेरी चूत में डाल दे बुधू।'
'उसने मेरे मम्मे अपने हाथों में पकड़ लिए और खींचने लगा।' ये तो पक्के चिपके हुए हैं इन्हें तुम्हारी चूत में कैसे डाल दूं।'
'तुम तो बिल्कुल अनाड़ी हो, अच्छा हुआ मुझे मिल गए नहीं तो तुम्हारी पत्नी तुम्हें छोड़ कर चली जाती है। 'इतनी ट्रेनिंग कोई नहीं देती।'
'चलो अच्छा हुआ अब तो तुम मुझे प्रशिक्षित कर ही दोगी। मैं अपनी पत्नी को बता दूंगा के मुझे तो कुछ भी नहीं आता था ये सब मेरी प्यारी भाभी ने सिखाया है।'


'जरूर टेक वो छोड़ कर अपने मयाके चली जाए।'


'मैं तो इसलिए कह रहा था कि वो तुम्हारा शुक्रिया करे गी के तुमने हमें अपने पति को प्रशिक्षित कर दिया है।'
' ठीक है अब जो तुझे कहा है वो कर और मेरे मम्मों को मुंह में ले कर चूस और अपने लंड को मेरी चूत में जोर जोर से मार।'
'भाभी अब तो तुम समझ गई होगी के मैं इस काम में बिल्कुल अनाड़ी हूं, चलो मैं अपनी पत्नी से नहीं कहूं गा लेकिन तेरा जिंदगी भर एहसान मानूंगा।'


'तो इस एहसान का बदला कैसे देगा।'


'जिंदगी भर जब भी तू कहेगी तेरी चूत में अपना लंड डाल कर तेरी पूरी तसल्ली करूंगा।'
रात को मेरे पति ने आ कर पूछा सारे दिन काया करते रहे कान्हिन बोर तो नहीं हुए भाई मुझे तो अपनी नौकरी पर जाना था। मैंने कहा 'हां बड़े आए अपने भाई का ख्याल रखने वाले, तुम्हारा भाई बाद में बना गया पहले मैंने इसे अपना देवर बनाया था।' ' ठीक है तुम्हारा देवर पहले है लेकिन तुम्हारे देवर की मुझे भी तो चिंता होनी चाहिए। सारे दिन काया करते रहे, कैसे दिन बिताया, मैं तो ये पूछ रहा हूं।'
'तुम्हारा ये भाई तो बड़ा बुधु है इसे तो कुछ बात करनी भी नहीं आती, मैं जो कहता हूं करता रहा।'
'हां अगर बुधू है तो मेरा भाई और तेज़ हो तो तेरा देवर। इतना सीधा इंसान कहां मिलेगा जो तुम कहती रही वो मानता रहा।'
एक बार तो मैं घबरा गया के कहीं इन्हों ने कुछ देख तो नहीं लिया। शायद ये लंच में घर आए हो और हमने देख लिया हो। मैंने कहा 'तुम तो ऐसे कह रहे हो जो तुम देख रहे थे के मैं जो कह रही थी ये मान रहा था।'
'अरे तू तो हर बात का गलत मतलब निकल रही है तूने ही तो कहा के जो तू कहती थी ये हां कर देता था।'
'लेकिन इसे भी तो कुछ बात करनी चाहिए के नहीं। काया तुम बर्दाश्त कर लोगे के तुम बोलते रहो और दूसरा हा हम करता रहे।'
'पहला दिन है धीरे-धीरे खुल जाएगा फिर ये भी तेरी तरह बातें करने लगे गा और तुझे बोर नहीं होने देगा।'
'सीखे गा कब कल तो ये वापस जा रहा है।'

'ऐसे कैसे चलेगा हम जाने देंगे तब ना।'
रात को दोनो भाई पीने बैठे तो मैंने इशारा कर दिया के तुम खुद थोड़ी पीना और उन्हें ज्यादा पिला कर नीचे कर देना। वो मेरी बात समझ गया और बहुत कम पेशाब। मेरा पति पेशाब कर बेहौश हो गया जैसे कि उसकी आदत थी तो इस्तेमाल करने के लिए बिस्टर पर लिता कर उसने मुझे अपनी बाहों में कस कर मेरे हौंटन पर अपने हौंट रख दिए। मैंने कहा 'हट शरारती तू तो एक दिन में ही अनाड़ी से खिलारी हो गया हे।' 'तेरे जैसा गुरु हो तो मैं काया कोई भी खिलाड़ी बन जाएगा।' 'अब मुझे कोई और खिलाड़ी बनने की ज़रूरत नहीं है, एक डर ही काफी है।'


हम दोनो दूसरे कमरे में चले गये। वो घबरा रहा था के कान्ही भया जाग ना ​​जाए। मैंने कहा ' घबरा मत वो अब सुबह से पहले जागने वाले नहीं।' हम दोनों ने अपने कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गए। रात को मुझे कुछ कहना नहीं पड़ा और वो मेरे होंठों को छूते हुए मेरे मम्मों को हाथ में लेकर दबाने लगा। फिर उसने मेरे माँ को मुँह में लेकर चुनना शुरू कर दिया। कभी वो मेरे निपल को चूसता और कभी पूरा मम्मा मुँह में ले लेता। जब उसने मेहसूस किया के मेरी चूत अब लंड लेना चाहती है तो उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। सारे दिन लंड लेने के बाद अब मेरी चूत इतनी चिकनी हो चुकी थी के एक ही झटके में पूरा 7" का लंड मेरी चूत में समा गया। कभी मैं हमारे साथ चूस रही थी और कभी वो मेरे लंड को चूस रहा था और लंड को खूब जोर जोर से झटके मार कर मेरी चुदाई कर रहा था। बड़ी मजेदार चुदाई करने लगा था वो। अब मेरे मम्मों को भी मुंह में लेकर जब चूसता था तो मेरी चूत उसे लेने के लिए उगलती थी।'' भाभी अब तो बीज जमीन में डाल दिया हे, काया ये बीज अच्छा हे।' 'बीज अच्छा है या कामज़ोर ये तो उगने पर ही पता लगे गा, अभी तो मैं ये कह सकती हूं के तूने हाल अच्छी तरह चलाया हे।'
'बीज ठीक पड़ गया हे ये कब पता चलेगा'
'एक महींने बाद जब मेरी महवारी नहीं होगी।'


कुछ दिनों के बाद वो कहने लगा 'अच्छा भाभी अब मुझे जाने की इजाज़त दो।'
मैंने कहा 'इजाज़त देने को दिल तो नहीं करता लेकिन तुम्हें कब तक रोकूंगी। फिर कब मिलोगे.'
'भाभी अब तुम्हारी बारी है तुम दिल्ली में मेरे पास आओगी। 'एक तो मैं रोज़-रोज़ काम से छूटी नहीं कर सकता और दूसरे वहां हम दोनों अकेले होंगे तो खुल कर भूल जाएंगे।'
महेन बाद मैं अपने पति से कह कर के मुझे लगता है कि मैं मां बनने वाली हूं इसलिए दिल्ली किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाती हूं। मेरे पति ने खुश हो कर कहा 'हां जरूर जाओ और वहां अपने देवर के पास रुक जाना।'
मैं दिल्ली पाहुंच गई। मेरा देवर मुझे लेने के लिए सटेशन पर आया था। मोटरसाइकिल पर मैं उसके पीछे बैठ गई तो उसने कहा 'भाभी कस कर पकड़ लेना कहीं गिर ना जाना।'


मैंने कहा 'तुझे तो मैं अब जिंदगी भर कास के पकड़ कर रखूंगी और अब गिरूं गी तो तेरी बाहों में या गोद में।' और मैंने उसकी कमर में अपने हाथ डाल लिये। कमर से मेरे हाथ उसके लंड पर पहुंच गए तो मैंने कहा' अरे ये काया ये तो ऐसे उछल रहा है जैसे यानी मेरी चूत में जाएगा। इसे कह दो के घर तो पाहुंच ले फिर जितना चाहे उछल-उछल कर अपनी पयारी छूट में जाए।'
'भाभी मैं इसे अब कैसे समझाऊं ये तो मैं ही जानती हूं के मैंने एक महीना कैसे बिताया है।'
'जब एक महीना बिता दिया तो काया एक घंटा और नहीं रुका जाता।' तू काया समझा हे के मैं एक महीना चैन से सो पाई हूं।'
घर पूछते ही उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे हौंटों पर चुम्मों की बौछार लगा दी। मैने कहा 'तुझे तो मेरा पढाया पाठ बड़ी अच्छी तरह से याद हो गया हे। 'काया इस पथ का इस्तमाल कहीं किसी और पर तो नहीं किया।'
'नहीं भाभी तेरा देवर इतना बेवफा नहीं के तेरा माल किसी को लूटा दे। अच्छा तूने लिखा था कि दिल्ली आने पर कोई खुशखबर सुनाने वाली हो, काया हे वो जल्दी से सुनाओ।'

'वो ख़ुशख़बर ये है के तुम बाप बनने वाले हो और मैं तेरे बच्चे की माँ।'
'तो मेरा बीज काम कर गया।'
'बीज तो उग गया लेकिन अब उसे लगता है पानी देना पड़ेगा नहीं तो पोड़ा मुर्झा जाएगा।'
'पानी कैसे मैं समझ नहीं सकता।'
'वो भी समझ दूंगी पहले मुझे गुसलखाना बतायो मैं नहा धोकर ताजा होना चाहती हूं।'
'तो चलो पहले फ्रेश हो लो तब तक मैं और इंतजार कर लेता हूं उस तारीख की।'
और वो मुझे गुसलखाने ले गया और कहने लगा' लो अब फ्रेश हो जाओ।' मैंने कहा 'अकेले फ्रेश कैसे हो सकती हूं तुम भी मेरे साथ होगे तो मुझे माल माल कर नहलयोगे तभी तो मैं फ्रेश होऊंगी।' और मैंने भी गुसलखाने में खींच लिया। मैंने कपड़े उतारते ही हमें का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और चूमते हुए कहा 'मेरे प्यारे लंड देवता तूने कमाल कर दिया 6 साल से जो मेरे पति का लंड ना कर सका तूने एक ही महीने में वो काम कर दिया। अब तुझे अपने लगेंगे, जब तक बाहर न आ जाए, अपना पानी पिलाते रहना होगा।' उसने कहा अब मैं समझ कौन सा पानी देने के लिए कह रही थी।' 'तो फिर काया ख्याल है।'


'मेरा काया ख्याल होना हे जो तुम चाहोगी तुम्हारा डेवर करणे के लिए हाज़िर हे।' 'तो अब किस बात का इंतजार है हो जा शुरू। कोई भी काम करने में देर नहीं करना चाहता।' मेरा इतना कहते ही उसने मुझे अपनी बाहों में कस के मेरे हौंटों को चुनना शुरू कर दिया और फिर मेरे मम्मों को हाथ में लेकर कहने लगा 'तुम्हें अभी तो मैं चुन सकता हूं फिर कुछ ही महीनों में तुम्हें चुनने वाला आ जाएगा फिर वो मुझे थोड़े चुनने देगा।' मैंने कहा 'वो तो कुछ साल चुनो गा फिर तुम्हें ही चुनने हैं। अभी तो 8 महीने हैं खूब दिल भर कर चूस लो।' उसने मेरे मम्मों को चुनना शुरू किया तो मैंने कहा 'तुम इसे चूस रहे हो और चूत को भी तो कुछ चुनने के लिए दो वो भी बड़े दिनों की प्यासी है।' 'चूत ही नहीं लंड भी बहुत दिनों से चूत का रस पीने के लिए तड़फ रहा है। ये ना तो खुद सोता था ना मुझे सोने देता था। आज रात चूत का रस पी कर आराम से सोया गा और मुझे सोने देगा'। 'काया कहा ये सोये गा और तुम्हें भी सोने देगा। 'गलत बात मत करो, ये ना तो आज सोनी गा ना तुम सोओगे ना मुझे सोने दूंगा।' 'ठीक है भाभी मैं कई बार गलत बोल जाता हूं, लेकिन मेरे दिल में कोई गलत बात नहीं होती।' 'हां दूसरे की बीवी को चोदना तो गलत नहीं होता।' 'हां बिलकुल गलत नहीं होता अगर इरादा नीक हो और किसी के भले के लिए की जाए।' नहाने के बाद हम दोनों बिना कपड़े पहने बिस्तर पर आ गए और उसने बिना किसी डर के अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और इतने जोर जोर से झटके मारने लगा जैसे पूरे महीने की कसर आज और अभी निकालीनी है। मैंने कहा 'इतने उतावले न बनो अब तो मैं तुम्हारे पास काफी दिनों तक रहूं गी, क्यों के मैं तेरे भय को ये कह कर आई हूं के मैं वहां डॉक्टर से जांच करवा रही हूं, क्योंकि इलाज तो कितना ही लंबा हो सकता है।'


और मैं एक महीने तक उसके पास रही और खूब मजे के लिए। एक महेन बाद मुख्य वापस जाते हुए उसे कह गए के जल्दी आना और मेरी बात दा ध्यान रखना के अपने लगाए पोदे को लगतार पानी देते रहना हे। वो अपनी बात पर खरा रहा और जब तक बच्चा नहीं हो गया वो अपनी बात पर पानी देने आता रहा। बच्चा होने के साथ भी वो मेरे पास ही रहा।
जैसे मैंने देवर बना कर बचा लिया और मजा भी लिया अगर मेरी ये कहानी पढ़ कर किसी बहन को चाहिए तो मुझे लिखे मैं अपने देवर की सेवा दिलवाने का वादा करती हूं, बेटियों के कहवत हे 'कर भला हो भला, सब के भले में ही अपना भला'